तुम्हारी सरपरस्ती में
हुए लाखों सर धड़ से जुदा
तुम्हारी ही सरपरस्ती में
बदली है,हिन्द की फिजा
मज़हब की खूनी चादर ओड़ने वालो,
सच्चाई से मुँह मोडने वालों,
मन्दिर वालों, मस्ज़िद वालों,
तेलगू,मलयालम वालों
तुम्हारी आने वाली नस्लों का न जाने क्या होगा...........
वहा लो खून सड़कों पर ,
मगर यह तो बतला दो,
वतन ज़ब खून माँगेगा,तुम्हारे पास क्या होगा.....
Thursday, September 30, 2010
Thursday, September 23, 2010
अरे......क्यों जलाते हो देश को धर्म की आग में........
कोई राम कहता है
कोई रहमान कहता है.......
कोई अल्लाह से डरता है
कोई भगवान से डरता है..........
कोई कुरआन पढ़ता है
कोई गीता को पढ़ता है.............
जो पीड़ा सूर सहता है
वही रसखान सहता है............
अरे......क्यों जलाते हो देश को धर्म की आग में........
अरे......क्यों जलाते हो देश को धर्म की आग में........
हमारे रक्त की धारा में हिन्दुस्तान वहता है...................
Monday, September 13, 2010
आज मेरा जन्मदिन है-एक बिशेष अंक..................
आज ख्याल आया कि....
चुप ही रहूँ,
पर ये दिल नहीं माना
शायद ये था अनजाना
कहते हैं ना..........
दिल तो बच्चा है,
शायद,
यह वक्तव्य
साकार कर दिया
और इस कलम को
लाचार कर दिया
सोचता हूँ
जन्मदिन पर,
लोगों ने शुभकामनाएँ देकर
अपना काम कर दिया.......
पर इस जिंदगी का क्या.....
इसने भी तो,
एक साल नीलाम कर दिया.........
खैर,
वक्त के आगे तो,
इंसान अक्सर हार जाया करते हैं.......
लेकिन अभी
वह भी मौजूद हैं,
जो हँसते-हँसते.........
शतक मार जाया करते हैं...........
आपकी ये शुभकामनाएँ.........
मेरे लिए किसी उपहार से कम नहीं...........
शायद,
हमसे है ये जमाना,
जमाने से हम नहीं..............
चुप ही रहूँ,
पर ये दिल नहीं माना
शायद ये था अनजाना
कहते हैं ना..........
दिल तो बच्चा है,
शायद,
यह वक्तव्य
साकार कर दिया
और इस कलम को
लाचार कर दिया
सोचता हूँ
जन्मदिन पर,
लोगों ने शुभकामनाएँ देकर
अपना काम कर दिया.......
पर इस जिंदगी का क्या.....
इसने भी तो,
एक साल नीलाम कर दिया.........
खैर,
वक्त के आगे तो,
इंसान अक्सर हार जाया करते हैं.......
लेकिन अभी
वह भी मौजूद हैं,
जो हँसते-हँसते.........
शतक मार जाया करते हैं...........
आपकी ये शुभकामनाएँ.........
मेरे लिए किसी उपहार से कम नहीं...........
शायद,
हमसे है ये जमाना,
जमाने से हम नहीं..............
Wednesday, September 8, 2010
मेरी हर अदा में छुपी थी,मेरी हर तमन्ना
मेरी हर अदा में छुपी थी,मेरी हर तमन्ना
तुमने महसूस न की ये और बात है...............
मैं तो हर दम ख्वाब ही देखता रहा
मुझे ताबीर न मिली, ये और बात है...............
मैने जब भी बात करनी चाही किसी से
मुझे अल्फाज न मिले, ये और बात है...............
मै मेरी तमन्ना के समुन्दर में डूब तक निकला
मुझे साहिल न मिला, ये और बात है...............
कुदरत ने छोड़ रखी थी जिंदगी,कोरे कागज की तरह
किस्मत में कुछ और लिखा हो, ये और बात है...............
तुमने महसूस न की ये और बात है...............
मैं तो हर दम ख्वाब ही देखता रहा
मुझे ताबीर न मिली, ये और बात है...............
मैने जब भी बात करनी चाही किसी से
मुझे अल्फाज न मिले, ये और बात है...............
मै मेरी तमन्ना के समुन्दर में डूब तक निकला
मुझे साहिल न मिला, ये और बात है...............
कुदरत ने छोड़ रखी थी जिंदगी,कोरे कागज की तरह
किस्मत में कुछ और लिखा हो, ये और बात है...............
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