मेरी हर अदा में छुपी थी,मेरी हर तमन्ना
तुमने महसूस न की ये और बात है...............
मैं तो हर दम ख्वाब ही देखता रहा
मुझे ताबीर न मिली, ये और बात है...............
मैने जब भी बात करनी चाही किसी से
मुझे अल्फाज न मिले, ये और बात है...............
मै मेरी तमन्ना के समुन्दर में डूब तक निकला
मुझे साहिल न मिला, ये और बात है...............
कुदरत ने छोड़ रखी थी जिंदगी,कोरे कागज की तरह
किस्मत में कुछ और लिखा हो, ये और बात है...............
Wednesday, September 8, 2010
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wah kya khoob likha hai aapne
ReplyDeletethis is best
ReplyDeleteमैने जब भी बात करनी चाही किसी से
ReplyDeleteमुझे अल्फाज न मिले, ये और बात है......
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ये तो और बात है कि
जब कलम चल पड़ी तो तो भावनाओं को अल्फाज़ शब्द मिल गए
अच्छे शब्द हैं। बढ़िया....
bahut accha likha hai apne..
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