हर रात सोचता हूँ,
एक नई सुबह आये,
सुबह तो हर रोज़ आती है,पर
बैरंग चली आती है
फिर सोचा,कि
ये रात बदल जाए,
पर,ख्वाव वदलकर,
सुनसान चली आती है.......
अब तो ये दिन-रात,
भी अपने न रहे,
जैसे,आँखों में,ओझल,
सपने ना रहे,
मंजिल की तलाश है,
शायद,मिल जाये
पर,रास्तों की भी,
फिज़ाएँ बदल जाती हैं..........
फिर सोचा,
इस किस्मत को बदला जाए
पर इसका भी क्या भरोसा,
कभी भी,शादी होकर,
ससुराल चली जाती है............
बैठे हैं वक्त के सहारे,
शायद बदल जाये
और,ये बोझिल जिन्दगी,
सचमुच ओझल हो जाये....
पर,हमने तो वक्त का,
वह रुख भी देखा है
जीते आदमी को,मौत की दुआ,
करते देखा है
लेकिन,कश्ती की तरह किनारे का इंतजार है.........
नाविक हूँ,लहरों से लड़ना स्वीकार है.............
Saturday, July 31, 2010
Saturday, July 24, 2010
मुहब्बत भरी नजर दिल पे गहरा असर करती है......................
होकर जमीं का, आसमान की चाह क्यों करुँ
मैं तुझे पाने की, तमन्ना क्यों करुँ
मुझे खबर है,जुदाई तड़पाएगी तुझे हर पल
इसलिए बता दे, मैं तुझसे वफा क्यों करुँ
ईमान को चोट लगेगी,गर तू ना मिली मुझको
तुझे अपना बनाने की ,दुआ फिर मैं क्यों करुँ
तेरी मासूमियत को बनाया है ,रब ने मुहब्बत के लिए
तुझे न चाहने की खता, मैं क्यों करुँ
तेरी मेरी किस्मत की, राहें हैं जुदा-जुदा,
मैं फिर तेरा बन जाने की ,आरज़ू क्यों करुँ
माना कि मुहब्बत भरी नजर ,दिल पे गहरा असर करती है
तुझे प्यार से देखकर, तुझ पर कोई जादू क्यों करुँ
इतना दुखाया है दिल को तूने मेरे,
इतना रुलाया है मुझे
सब कुछ सहूँ,फिर भी,
तुझसे बे-इंतहा प्यार क्यों करुँ
मैं तुझे पाने की, तमन्ना क्यों करुँ
मुझे खबर है,जुदाई तड़पाएगी तुझे हर पल
इसलिए बता दे, मैं तुझसे वफा क्यों करुँ
ईमान को चोट लगेगी,गर तू ना मिली मुझको
तुझे अपना बनाने की ,दुआ फिर मैं क्यों करुँ
तेरी मासूमियत को बनाया है ,रब ने मुहब्बत के लिए
तुझे न चाहने की खता, मैं क्यों करुँ
तेरी मेरी किस्मत की, राहें हैं जुदा-जुदा,
मैं फिर तेरा बन जाने की ,आरज़ू क्यों करुँ
माना कि मुहब्बत भरी नजर ,दिल पे गहरा असर करती है
तुझे प्यार से देखकर, तुझ पर कोई जादू क्यों करुँ
इतना दुखाया है दिल को तूने मेरे,
इतना रुलाया है मुझे
सब कुछ सहूँ,फिर भी,
तुझसे बे-इंतहा प्यार क्यों करुँ
Wednesday, July 21, 2010
प्यार में छुप-छुप कर मिलने का मज़ा कुछ और है....................
जब उनको मेरी याद आया करेगी,
तब वो मेरी गज़ल गुनगुनाया करेगी
उठाकर देखेगी कभी तस्वीर मेरी,
फिर उसे सीने से लगाया करेगी
ज़ब भी नज़र आयेगीं मेरी निशानियाँ,
उनको दामन में छुपाया करेगी
बीते दिनों की बीती कहानी,
छुप-छुप के गैरों को बताया करेगी
रखा है उसने अंधेरे में जो “प्रकाश”,
भूल पर अपनी पछताया करेगी.................
तब वो मेरी गज़ल गुनगुनाया करेगी
उठाकर देखेगी कभी तस्वीर मेरी,
फिर उसे सीने से लगाया करेगी
ज़ब भी नज़र आयेगीं मेरी निशानियाँ,
उनको दामन में छुपाया करेगी
बीते दिनों की बीती कहानी,
छुप-छुप के गैरों को बताया करेगी
रखा है उसने अंधेरे में जो “प्रकाश”,
भूल पर अपनी पछताया करेगी.................
Sunday, July 18, 2010
लोग फिर भी,आद़ाब करते हैं..........
मेरी मासूमियत का वो ऐसा,
ज़बाब देते हैं,
जैसे मेरी जिन्दगी से हर लम्हे का,
हिसाब लेते हैं,
जिनको समझते थे,सच का देवता वही,झूठ का,
दबाव देते हैं,
चेहरे पढ़ने में तो लग गई उम्र तमाम,अब चेहरे को,
किताब कहते हैं,
बालों को रंगने से नहीं ढक जायेगा वुढापा,फिर भी,
खिज़ाब करते हैं,
दिल में दगा,होठों पर वफा, लोग फिर भी,
आद़ाब करते हैं,
ज़बाब देते हैं,
जैसे मेरी जिन्दगी से हर लम्हे का,
हिसाब लेते हैं,
जिनको समझते थे,सच का देवता वही,झूठ का,
दबाव देते हैं,
चेहरे पढ़ने में तो लग गई उम्र तमाम,अब चेहरे को,
किताब कहते हैं,
बालों को रंगने से नहीं ढक जायेगा वुढापा,फिर भी,
खिज़ाब करते हैं,
दिल में दगा,होठों पर वफा, लोग फिर भी,
आद़ाब करते हैं,
Friday, July 16, 2010
तुम क्यों लगाते हो आँखों में काज़ल इतना.......
पल-पल नज़र में
मुझे भर रहा है कोई.........
दिल पर असर गहरा,
कर रहा है कोई.........
बो क्यों लगाते हैं,
काज़ल आँखों में,इतना
जिसके लिए हर पल,
ज़ल रहा है कोई..................................,
हदों की हदें,
पार कर रहा है कोई,
तुम्हें हद से भी ज्यादा,
प्यार कर रहा है कोई
तुम मुस्कुरा रही हो,
इतना,पता नहीं,
तुम्हारी हर अदा पर,
मर रहा है कोई.............................................।
मुझे भर रहा है कोई.........
दिल पर असर गहरा,
कर रहा है कोई.........
बो क्यों लगाते हैं,
काज़ल आँखों में,इतना
जिसके लिए हर पल,
ज़ल रहा है कोई..................................,
हदों की हदें,
पार कर रहा है कोई,
तुम्हें हद से भी ज्यादा,
प्यार कर रहा है कोई
तुम मुस्कुरा रही हो,
इतना,पता नहीं,
तुम्हारी हर अदा पर,
मर रहा है कोई.............................................।
Sunday, July 11, 2010
एक रात ,वरसात के साथ........
चलते –चलते उम्र बीत गई,
अब बीत ना जाये ये रैना भी...........
सोचा था कुछ कहें उनसे,
बाकी है दिल में कहना भी...........
अरमानों का जाल है मन में,
बचा है पूरा करना भी..............
माना,अगम,अगाध समुन्दर है,
पर, नाविक का काम है खेना भी..........
माँगने से नहीं डरते उस खुदा से,
उसका तो काम है देना भी..............
जिन शब्दों से कविता बनती है,
उन शब्दों को नहीं है खोना भी..............
अभी तक कटी,जैसे भी कटी,
बाकी है,मसीहा बनकर जीना भी.............
एक पैमाने में काँप जाते हैं,जिनके अधर,
बाकी है अभी,मधुशाला को पीना भी............
लिखते-लिखते सुबह हो गई,
इन आँखों को है सोना भी...............
चलते –चलते उम्र बीत गई,
अब बीत ना जाये ये रैना भी...........
अब बीत ना जाये ये रैना भी...........
सोचा था कुछ कहें उनसे,
बाकी है दिल में कहना भी...........
अरमानों का जाल है मन में,
बचा है पूरा करना भी..............
माना,अगम,अगाध समुन्दर है,
पर, नाविक का काम है खेना भी..........
माँगने से नहीं डरते उस खुदा से,
उसका तो काम है देना भी..............
जिन शब्दों से कविता बनती है,
उन शब्दों को नहीं है खोना भी..............
अभी तक कटी,जैसे भी कटी,
बाकी है,मसीहा बनकर जीना भी.............
एक पैमाने में काँप जाते हैं,जिनके अधर,
बाकी है अभी,मधुशाला को पीना भी............
लिखते-लिखते सुबह हो गई,
इन आँखों को है सोना भी...............
चलते –चलते उम्र बीत गई,
अब बीत ना जाये ये रैना भी...........
Saturday, July 10, 2010
अगर है इश्क, तो.....................
न शरमाना ज़रुरी है,
न घबराना ज़रुरी है,
अगर है इश्क तो,
नज़र आना जरुरी है।
ये सारी एहतियातें,
वहतियातें,
सब वेबकूफी हैं,
अगर है इश्क तो,
हद से,
गुज़र जाना,
ज़रुरी है............।
न घबराना ज़रुरी है,
अगर है इश्क तो,
नज़र आना जरुरी है।
ये सारी एहतियातें,
वहतियातें,
सब वेबकूफी हैं,
अगर है इश्क तो,
हद से,
गुज़र जाना,
ज़रुरी है............।
Thursday, July 8, 2010
एक इवादत......................... मेरे इन्तकाल की.।
तन्हाइयों में जो ,
मेरे दिल का हाल पूछते हैं।
मेरी जिन्दगी से ,
एक बड़ा सवाल पूछते हैं
जो मुझे देते हैं,
मुहब्बत के बारे में मश़विरा,
मुहब्बत के बारे में मेरा ख्याल पूछते हैं........................
हमने तो मौत से, दो पल माँगे थे,
उनकी एक झलक पाने को,
और उनके दर पर गये
उन्हें मनाने को,
हमें तो उनकी रुश्वाई का,
अंदाजा भी नहीं था,
जो इवादत में मेरा इन्तकाल पूछते हैं..................................।
मेरे दिल का हाल पूछते हैं।
मेरी जिन्दगी से ,
एक बड़ा सवाल पूछते हैं
जो मुझे देते हैं,
मुहब्बत के बारे में मश़विरा,
मुहब्बत के बारे में मेरा ख्याल पूछते हैं........................
हमने तो मौत से, दो पल माँगे थे,
उनकी एक झलक पाने को,
और उनके दर पर गये
उन्हें मनाने को,
हमें तो उनकी रुश्वाई का,
अंदाजा भी नहीं था,
जो इवादत में मेरा इन्तकाल पूछते हैं..................................।
Wednesday, July 7, 2010
कीट हूँ,पतिंगा हूँ,ज़ान न्यौछावर दिये पर कर जाऊँगा...................................
मैं सूरज हूँ,
जला हूँ
रोशनी में,
पला हूँ
शाम होते-होते
ढला हूँ
ज़माने को रोशन
कर जाऊँगा.................
मै पानी हूँ,
वहा हूँ,
दर्दों को,
सहा हूँ
नदिय़ों में तन्हा,
रहा हूँ
आँसू बनकर आँखो से,
छलक जाऊँगा..............
प्रीत की
परीक्षा....
ना लेना मेरी,
बस इतनी सी,
थी चाहत मेरी,
प्रेमियों से
आगे मैं
निकल जाऊँगा..........
तुम जलते रहो,
दीपक की तरह,
पढते रहो,
रुपक की तरह,
मैं
कीट हूँ,
पतिंगा हूँ,
ज़ान न्यौछावर,
दिये पर,
यूँ ही,
कर जाऊँगा........................।
जला हूँ
रोशनी में,
पला हूँ
शाम होते-होते
ढला हूँ
ज़माने को रोशन
कर जाऊँगा.................
मै पानी हूँ,
वहा हूँ,
दर्दों को,
सहा हूँ
नदिय़ों में तन्हा,
रहा हूँ
आँसू बनकर आँखो से,
छलक जाऊँगा..............
प्रीत की
परीक्षा....
ना लेना मेरी,
बस इतनी सी,
थी चाहत मेरी,
प्रेमियों से
आगे मैं
निकल जाऊँगा..........
तुम जलते रहो,
दीपक की तरह,
पढते रहो,
रुपक की तरह,
मैं
कीट हूँ,
पतिंगा हूँ,
ज़ान न्यौछावर,
दिये पर,
यूँ ही,
कर जाऊँगा........................।
Tuesday, July 6, 2010
जिन्दगी जीने के केवल दो रास्ते हैं.............
हमें अपने इश्क का ,
हिसाब नहीं आता…………………..
और उनका पलटकर
कोई ज़बाब नहीं आता।
हम तो उनकी यादों में,
खोए रहते हैं अक्सर,
और उनको सोकर भी,
हमारा ख्वाब नहीं आता.................
शायद,
उन्हें इश्क,
करना नहीं आता………………..
और,
हमें इश्क के शिवा,
कुछ नहीं आता
जिन्दगी जीने के केवल दो रास्ते हैं
एक उन्हें नहीं आता....................
एक हमें नहीं आता.........................।
हिसाब नहीं आता…………………..
और उनका पलटकर
कोई ज़बाब नहीं आता।
हम तो उनकी यादों में,
खोए रहते हैं अक्सर,
और उनको सोकर भी,
हमारा ख्वाब नहीं आता.................
शायद,
उन्हें इश्क,
करना नहीं आता………………..
और,
हमें इश्क के शिवा,
कुछ नहीं आता
जिन्दगी जीने के केवल दो रास्ते हैं
एक उन्हें नहीं आता....................
एक हमें नहीं आता.........................।
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