चलते –चलते उम्र बीत गई,
अब बीत ना जाये ये रैना भी...........
सोचा था कुछ कहें उनसे,
बाकी है दिल में कहना भी...........
अरमानों का जाल है मन में,
बचा है पूरा करना भी..............
माना,अगम,अगाध समुन्दर है,
पर, नाविक का काम है खेना भी..........
माँगने से नहीं डरते उस खुदा से,
उसका तो काम है देना भी..............
जिन शब्दों से कविता बनती है,
उन शब्दों को नहीं है खोना भी..............
अभी तक कटी,जैसे भी कटी,
बाकी है,मसीहा बनकर जीना भी.............
एक पैमाने में काँप जाते हैं,जिनके अधर,
बाकी है अभी,मधुशाला को पीना भी............
लिखते-लिखते सुबह हो गई,
इन आँखों को है सोना भी...............
चलते –चलते उम्र बीत गई,
अब बीत ना जाये ये रैना भी...........
Sunday, July 11, 2010
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bahut sundar likha hai aapne.............badhai
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुन्दर।
ReplyDeletevery heart touching words
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