जब उनको मेरी याद आया करेगी,
तब वो मेरी गज़ल गुनगुनाया करेगी
उठाकर देखेगी कभी तस्वीर मेरी,
फिर उसे सीने से लगाया करेगी
ज़ब भी नज़र आयेगीं मेरी निशानियाँ,
उनको दामन में छुपाया करेगी
बीते दिनों की बीती कहानी,
छुप-छुप के गैरों को बताया करेगी
रखा है उसने अंधेरे में जो “प्रकाश”,
भूल पर अपनी पछताया करेगी.................
Wednesday, July 21, 2010
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सुन्दर रचना .....
ReplyDeletenice
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