चिट्ठाजगत रफ़्तार

Friday, July 16, 2010

तुम क्यों लगाते हो आँखों में काज़ल इतना.......

पल-पल नज़र में


मुझे भर रहा है कोई.........

दिल पर असर गहरा,

कर रहा है कोई.........

बो क्यों लगाते हैं,

काज़ल आँखों में,इतना

जिसके लिए हर पल,

ज़ल रहा है कोई..................................,

हदों की हदें,

पार कर रहा है कोई,

तुम्हें हद से भी ज्यादा,

प्यार कर रहा है कोई

तुम मुस्कुरा रही हो,

इतना,पता नहीं,

तुम्हारी हर अदा पर,

मर रहा है कोई.............................................।

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