जाने अनज़ाने में एक दिन, मेरी उनसे मुलाकात हुई
बो भी चुप और हम भी चुप, बस दिल ही दिल में बात हुई
उनकी एक ऩजर, कर गई एक ऐसा असर
जैसे बिन सावन ,बिन वदली, आँगन में बरसात हुई
अब तो एक पल भी बो,मेरे बिन नहीं ज़ी सकते
अब तो उनकी एक अदा कलम,स्याही,दबात हुई
छुपा-छुपी के खेल में हम, दिल की बाजी हार गये
जीत-हार का खेल अनोखा,शतरंज की एक विसात हुई
मेरी आँखों के सामने, मेरे ख़त भी ज़ला दिये
दिल की किताब तो पढ ना पाये,अफसानों की क्या औकात हुई
हमें क्या पता था, वो इस क़दर रुश्बा हैं हमसे
इधर मौत की बात हुई,उधर मेंहदी की रात हुई
मेरी कब्र पर आते, तो शायद गम न होता
पर मेरी आखिरी इवादत खुदा से भी न वरदास्त हुई.....................
Saturday, May 29, 2010
Friday, May 14, 2010
एक वादा करते हैं अपने आप से
एक वादा करते हैं अपने आप से
अपने कल और आज से
बगिया के फूल से
मिटटी और धुल से
कुरान और गीता से
सलमा और सीता से
हम क्यों जी रहे हैं
दूध में जहर पी रहे हैं
बदनामी से घुट रहे हैं
रोज सड़क पे लुट रहे हैं
अपने भविष्य से घबराने लगे हैं
सच्चाई से कतराने लगे हैं
फिर भी वादा करते हैं
क्यों की जमीर से जो डरते हैं
फिर जो वादा करते है अपने आप से
अपने कल और आज से .....................
अब तो अपने को रौशनी में भी नहीं पहचानते हैं
हम वोह हैं जो प्रथ्वी को तीन दागो में नापते हैं
आज तो कोई न सलामत घर है
सबको लुट जाने का डर है
आज तो लडकियों पर हमला होता है
और मजहब भी बीच सड़क पर रोता है
जिस पानी को पीते हैं
उसी में जहर मिलते हैं
अकुआ जिसको कहते है
दूध के दाम में विक्वाते हैं
मानवता अब बची कहा हैं
अब तो सब कुछ ख़ाक बचा है
फिर भी वादा करते हैं अपने आप से
अपने कल और आज से ......................
अब तो भीड़ में भी अकेले हैं
जिन्होंने वफ़ा के खेल खेले है
अब तो धोखा देने से भी बाज नहीं
उनको भी पता है हमारे पास अलफ़ाज़ नहीं
दुनिया में हम क्यों जिया करते है
जब वक़्त नहीं तो रिश्ते क्यों बना लिया करते हैं
पर अब एक बात समझ मैं आई है
इस दुनिया में बहुत बेवफाई है
अब तो हमें भी इसकी परिभाषा समझ में आने लगी है
जबसे समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान जाने लगी है
फिर भी वादा करते हैं अपने आप से
अपने कल और आज से ........................
भारत उन्नति का जो सपना रखते हैं
वोह भी अब चार बच्चे पैदा करते हैं
संसद में नोट के लहराने वालो
देश को बेचने वाले नक्कालो
इस देश को क्यों घुन की तरह चाट रहे हो
क्यों जात पात पे वोट बैंक बात रहे हो
सुनंदा के चक्कर में क्यों लुट रहे हैं थरूर
तैमूर की तरह लूटना चाते हैं देश को जर्रोर
अब तो खेल को भी बना दिया एक अखाडा राजनीती का
फिर भी कोई जवाब नै hai इस कूटनीति का
फिर भी वादा करते है अपने आप से
अपने कल और आज से ..........................
घूसखोरी का चारो तरफ जाल है
फिर भी सरकार बदहाल है
जो सर्कार चलती है वैशाखियो पर
क्यों अपने आप को बेच रहे हैं जातियों पर
इन आखो का पानी अब क्यों नहीं mar रहा है
जो खुले मैदान मैं गर्दन पर बार कर रहा है
जागो भारत जागो पहचानो अपनी औकात
iiron मिल नै सकता कभी गोल्ड के साथ
खून को युही सडको पर mat bahaao
varun बहुत हो chuki rajneeti अब kuchh और sunao
फिर भी वादा करते हैं अपने आप से
अपने कल और आज से ...........................
अपने कल और आज से
बगिया के फूल से
मिटटी और धुल से
कुरान और गीता से
सलमा और सीता से
हम क्यों जी रहे हैं
दूध में जहर पी रहे हैं
बदनामी से घुट रहे हैं
रोज सड़क पे लुट रहे हैं
अपने भविष्य से घबराने लगे हैं
सच्चाई से कतराने लगे हैं
फिर भी वादा करते हैं
क्यों की जमीर से जो डरते हैं
फिर जो वादा करते है अपने आप से
अपने कल और आज से .....................
अब तो अपने को रौशनी में भी नहीं पहचानते हैं
हम वोह हैं जो प्रथ्वी को तीन दागो में नापते हैं
आज तो कोई न सलामत घर है
सबको लुट जाने का डर है
आज तो लडकियों पर हमला होता है
और मजहब भी बीच सड़क पर रोता है
जिस पानी को पीते हैं
उसी में जहर मिलते हैं
अकुआ जिसको कहते है
दूध के दाम में विक्वाते हैं
मानवता अब बची कहा हैं
अब तो सब कुछ ख़ाक बचा है
फिर भी वादा करते हैं अपने आप से
अपने कल और आज से ......................
अब तो भीड़ में भी अकेले हैं
जिन्होंने वफ़ा के खेल खेले है
अब तो धोखा देने से भी बाज नहीं
उनको भी पता है हमारे पास अलफ़ाज़ नहीं
दुनिया में हम क्यों जिया करते है
जब वक़्त नहीं तो रिश्ते क्यों बना लिया करते हैं
पर अब एक बात समझ मैं आई है
इस दुनिया में बहुत बेवफाई है
अब तो हमें भी इसकी परिभाषा समझ में आने लगी है
जबसे समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान जाने लगी है
फिर भी वादा करते हैं अपने आप से
अपने कल और आज से ........................
भारत उन्नति का जो सपना रखते हैं
वोह भी अब चार बच्चे पैदा करते हैं
संसद में नोट के लहराने वालो
देश को बेचने वाले नक्कालो
इस देश को क्यों घुन की तरह चाट रहे हो
क्यों जात पात पे वोट बैंक बात रहे हो
सुनंदा के चक्कर में क्यों लुट रहे हैं थरूर
तैमूर की तरह लूटना चाते हैं देश को जर्रोर
अब तो खेल को भी बना दिया एक अखाडा राजनीती का
फिर भी कोई जवाब नै hai इस कूटनीति का
फिर भी वादा करते है अपने आप से
अपने कल और आज से ..........................
घूसखोरी का चारो तरफ जाल है
फिर भी सरकार बदहाल है
जो सर्कार चलती है वैशाखियो पर
क्यों अपने आप को बेच रहे हैं जातियों पर
इन आखो का पानी अब क्यों नहीं mar रहा है
जो खुले मैदान मैं गर्दन पर बार कर रहा है
जागो भारत जागो पहचानो अपनी औकात
iiron मिल नै सकता कभी गोल्ड के साथ
खून को युही सडको पर mat bahaao
varun बहुत हो chuki rajneeti अब kuchh और sunao
फिर भी वादा करते हैं अपने आप से
अपने कल और आज से ...........................
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