चिट्ठाजगत रफ़्तार

Tuesday, September 13, 2011

आज मेरा जन्मदिन है.......





आज मेरा जन्मदिन है....सुबह से लोग शुभकामनाएं दे रहे हैं...फोन कम था कि अब मोबाइल...एसएमएस....ईमेल...ऑर्कुट और फेसबुक भी है....लगा कि कुछ तो लिख ही दूं...तो कुछ भी लिखने के चक्कर में कुछ लिखा डाला है....आज मेरा जन्मदिन है आशा है कम से कम आज तो आप एक कविता झेल ही लेंगे.....


समय....
बिना किसी मुश्किल
कट जाता है....
मुश्किल था
ऐसा सोचना भी....
पर हर वक्त
धूप , छाँव
जीत,हार
सोचा था यही......
घबराता,शरमाता हुआ
सहता रहा दिल....
कि न आता
कोई भी गम
और इसे मनाने में
सोचने-विचारने
घबराने में
कट गए
ये कई साल......
और मैं
हर बार
खोजता,
संजोरता,
खुशियों को बटोरता..
करता रहा आसां
ये मुश्किल.......

Wednesday, July 6, 2011

वो वादा करके भूल गये........ मैं प्रीत निभाकर हार गया

वो वादा करके भूल गये मैं प्रीत निभाकर हार गया
वो आ न सके मेरे दर पे मैं उनके दर सौ बार गया

क्या कहिये उनसे मिलने की कुछ ऐसी अजब कहानी है
एक चितवन ने मारा उनकी, खाली मेरा हर वार गया

आये तो थे वो मिलने को पर मिलने के पल यूं बीते
वो ज़ुल्फ़ झटक के अलग हुये, रोना मेरा बेकार गया

ये इश्क बला है बहुत अजब, मत इस के चक्कर में पड़ना
दर-दर की ठोकर खाते हैं, सब साख गयी, व्यापार गया

न सनम मिला न सरमाया, ये जीना भी कुछ जीना है
यूं जीवन ऐसा कटा मेरा, इक-इक लमहा दुश्वार गया.

Saturday, June 18, 2011

वह लड़ाई भी क्या,जिसके अन्त में विजय नहीं............


चारों तरफ फैला सन्नाटा
मन में उठता है ज्वार-भाटा
शायद इस रात की सुबह नहीं...........
खेल बह नहीं जिसमें जीत-हार हो
खेल तो वह है,जिसमें प्यार हो
वह मात ही क्या जिसकी शह नहीं............
जिंदगी, वक्त और हालातों के बीच अकेली है
सवालों के समुन्दर में उलझी एक पहेली है
वह मौत भी क्या ,जिसका कोई भय नहीं.............
जीवन यापन एक  अनौखी लड़ाई है
संघर्ष में ही इसकी सच्चाई है
वह लड़ाई भी क्या,जिसके अन्त में विजय नहीं............