चिट्ठाजगत रफ़्तार

Wednesday, July 6, 2011

वो वादा करके भूल गये........ मैं प्रीत निभाकर हार गया

वो वादा करके भूल गये मैं प्रीत निभाकर हार गया
वो आ न सके मेरे दर पे मैं उनके दर सौ बार गया

क्या कहिये उनसे मिलने की कुछ ऐसी अजब कहानी है
एक चितवन ने मारा उनकी, खाली मेरा हर वार गया

आये तो थे वो मिलने को पर मिलने के पल यूं बीते
वो ज़ुल्फ़ झटक के अलग हुये, रोना मेरा बेकार गया

ये इश्क बला है बहुत अजब, मत इस के चक्कर में पड़ना
दर-दर की ठोकर खाते हैं, सब साख गयी, व्यापार गया

न सनम मिला न सरमाया, ये जीना भी कुछ जीना है
यूं जीवन ऐसा कटा मेरा, इक-इक लमहा दुश्वार गया.

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