चिट्ठाजगत रफ़्तार

Thursday, September 23, 2010

अरे......क्यों जलाते हो देश को धर्म की आग में........

कोई राम कहता है

कोई रहमान कहता है.......

कोई अल्लाह से डरता है

कोई भगवान से डरता है..........

कोई कुरआन पढ़ता है

कोई गीता को पढ़ता है.............

जो पीड़ा सूर सहता है

वही रसखान सहता है............

अरे......क्यों जलाते हो देश को धर्म की आग में........

अरे......क्यों जलाते हो देश को धर्म की आग में........

हमारे रक्त की धारा में हिन्दुस्तान वहता है...................

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