चिट्ठाजगत रफ़्तार

Thursday, September 30, 2010

वतन ज़ब खून माँगेगा,तुम्हारे पास क्या होगा.....

तुम्हारी सरपरस्ती में

हुए लाखों सर धड़ से जुदा

तुम्हारी ही सरपरस्ती में

बदली है,हिन्द की फिजा

मज़हब की खूनी चादर ओड़ने वालो,

सच्चाई से मुँह मोडने वालों,

मन्दिर वालों, मस्ज़िद वालों,

तेलगू,मलयालम वालों

तुम्हारी आने वाली नस्लों का न जाने क्या होगा...........

वहा लो खून सड़कों पर ,

मगर यह तो बतला दो,

वतन ज़ब खून माँगेगा,तुम्हारे पास क्या होगा.....

3 comments:

  1. hindu, muslim, sikh, isai apas me sab Bhai-Bhai...
    power resides there in unity...

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  2. nice one...........its fact
    really v should think bout it.

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