चिट्ठाजगत रफ़्तार

Thursday, July 8, 2010

एक इवादत......................... मेरे इन्तकाल की.।

तन्हाइयों में जो ,


मेरे दिल का हाल पूछते हैं।

मेरी जिन्दगी से ,

एक बड़ा सवाल पूछते हैं

जो मुझे देते हैं,

मुहब्बत के बारे में मश़विरा,

मुहब्बत के बारे में मेरा ख्याल पूछते हैं........................

हमने तो मौत से, दो पल माँगे थे,

उनकी एक झलक पाने को,

और उनके दर पर गये

उन्हें मनाने को,

हमें तो उनकी रुश्वाई का,

अंदाजा भी नहीं था,

जो इवादत में मेरा इन्तकाल पूछते हैं..................................।

1 comment:

  1. सच हाल बेहाल ही है....अच्छे से अभिव्यक्त किया है

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